थायराइड एवम् योग
सूर्यनमस्कार
थायराइड आजकल बहुत आम होती जा रही है। पहले यह स्त्रियों में होने वाला रोग समझ जाता था। आज कल पुरषों में ही नहीं अपितु शिशुओं में भी फ़ैल रहा है। थायराइड एक मूक हत्यारे (silent killer )की तरह छुपा वार करता है। हमारे शरीर के स्वस्थ रहने के लिए शरीर के सभी अंगो, ग्रंथियों आदि का सही तरह से काम करना जरुरी है| हमारे शरीर में पाये जाने वाली थायराइड ग्रंथि का भी सुचारू रूप से कार्य करना जरुरी है| ये हमारे शरीर से दूषित रसायनो को बाहर निकालने में मदद करती है। इससे शरीर का कोलेस्ट्रॉल लेवल नियंत्रित रहता है| यहाँ तक की यह ग्रंथि बच्चो के विकास में भी सहायक है| यह शरीर में कैल्शियम एवं फास्फोरस के पाचन में सहायता प्रदान करती है|
दरहसल थायराइड मानव शरीर मे पायी जाने वाली सबसे बड़ी एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है। थायराइड ग्रंथि का आकार तितली की तरह होता है| यह गर्दन के सामने की तरफ, श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों तरफ दो भागों में बनी होती है। इसका कार्य थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाना होता है| किसी किसी का थायराइड हाई होता है तो किसी किसी का लो, जिसके चलते कई प्रकार की शारीरिक समस्याएं सामने आती हैं।
अन्य शब्दों में कहे तो यदि थायराइड ग्रंथि से थाईराक्सिन कम बनने लगे या फिर थायराक्सिन हार्मोन अधिक बनने लगे तो थायराइड की समस्या हो जाती है| थायराइड दो प्रकार का होता है। पहला हाइपरथायराइडिज्म और दूसरा हाइपोथायराइड। थायराइड की समस्या महिलाओ और पुरुषो दोनों में दिखाई देती है| थायराइड होने पर वजन अचानक से बढ़ जाता है या कभी अचानक से कम हो जाता है। इसके चलते महिलाओ में मासिक धर्म अनियमित हो जाते है| बिना काम किये ही थकान महसूस होतीं है|
थायराइड रोग में काफी दिक्कत होती है। लेकिन आपको घबराने की जरुरत नहीं है, क्योंकि हम आपको बताना चाहते है की योग की मदद से थायराइड को कम करने में मदद मिलती है| तो आइये जाने ऐसी कौन सी योग क्रियाए है जिसे करने से थायराइड में फायदा मिलता है| थायराइड के कारन दिमाग का cortisol नमक केमिकल बहुत बड़ जाता है। इसेकेवल प्राणायाम से नियंत्रित किया जा सकता है।
1. सर्वांगसन२
थॉयराइड ग्रन्थियों के लिए सबसे प्रभावी आसन, सर्वांगसन होता है
जिसमें कंधों को उठाना होता है। ऐसा करने से पॉवरफुल पॉश्चर के कारण ग्रन्थि पर
दबाव पड़ता है। थॉयराइड, सबसे बड़ी रक्त आपूर्तिकर्ता ग्रन्थि होती है और इस आसन
को करने से रक्त के परिसंचरण में सुधार होता है।
२ मत्स्यासन : वज्रासन या पद्मासन में बैठकर कोहनियों की मदद से पीछे झुककर गर्दन लटकाते हुए सिर के ऊपरी हिस्से को जमीन से स्पर्श करें और 10-15 श्वास-प्रश्वास करें। इस आसान के करने से गर्दन में खिंचाव पड़ता है जिससे थायराइड ठीक होता है।
3 हलासन ( Halaasan ) : हलासन करने के लिए आप जमीन पर सीधे लेट जाएँ और अपने हाथों को जमीन से लगा लें. अब आप अपने पैरों को धीरे धीरे हवा में उठायें और अपने सिर से पीछे की तरफ ले जाएँ. ध्यान रहें कि आपकी गर्दन स्थिर हो और आपके शरीर का सारा वजह आपके कन्धों पर हों. आप इस अवस्था में कुछ देर तक रहें और श्वास और प्रश्वास करें. फिर आप सामान्य अवस्था में आ जाएँ और दोबारा इस आसन को अपनायें.
4 . विपरीतकरनी:
विपरीत का अर्थ होता है उल्टा और करनी का अर्थ होता है किसके
द्वारा। विपरीतकरनी नाम का यह आसन, थॉयराइड ग्रन्थि के लिए रामबाण होता है और
इसमें सकारात्मक सुधार ला देता है। अगर आप ऊपर दिए गए तीन क्रमबद्ध आसनों को करने
में सक्षम नहीं है तो इस आसन को करें, अवश्य लाभ मिलेगा।
5 उष्ट्रासन : घुटनों पर खड़े होकर पीछे झुकते हुए एड़ियों को दोनों हाथों से पकड़कर गर्दन पीछे झुकाएँ और पेट को आगे की तरफ उठाएँ।
6 ब्रह्ममुद्रा : वज्रासन में या कमर सीधी रखकर बैठें और गर्दन को 10 बार ऊपर-नीचे चलाएँ। दाएँ-बाएँ 10 बार चलाएँ और 10 बार सीधे-उल्टे घुमाएँ।
७ स्थिर नौका आसान : अपने पैरों के नीचे १ फ़ीट के आस-पास कोई वास्तु रखे और उस पर पैर टिक दें , सर को दीवार के आसरे ऊचां इसप्रकार रखें की ठोडी गले में दब जाए। इस स्तिथि में १०- १५ मिनट आराम से लेटें।
सूर्यनमस्कार
हम आपको बताना चाहते है की थाइराइड रोग में भी इसका विशेष महत्त्व हैं। सूर्यनमस्कार करते समय आपको गर्दन को आगे और पीछे की और करना पड़ता है और गहरी साँसे लेना और छोड़ना पड़ता हैं। इस क्रियाओ को करने से थाइराइड ग्रंथि पर दबाव पड़ता हैं| नतीजनत् उसके आस-पास के स्नायु क्रियाशील होते हैं और थाइराइड की समस्या में लाभ मिलता है|
शव आसान (योग निद्रा ) शव आसान हमारे दिमाग को १०% तक आराम देता है। जो की सोते समय केवल ६% तक मिलता है। दोनों प्रकार के थाइरोइड में तनाव कम करने एवं शांत
रखने में सहायक है। हाइपर थाइरोइड से पीड़ित लोगों को रात्रि में नींद आने में कठिनाई
हो सकती हैl योग निद्रा उनके लिए दिन में एक स्फूर्तिदायक झपकी के रूप में सहायक होती
है जिससे शरीर को ज़रूरी विश्राम मिल सकता हैl ठीक ढंग से किया गया शव आसान cortisol नमक दिमाग के केमिकल को नियंत्रित करता है। जिससे थाइरोइड ठीक होता है।
प्राणायाम
उज्जयी, उज्जयी करते हुए जब साँस छोड़ना है तब गले आवाज़ निकलते हुए करे जिससे शरीर जो की ८०% पानी का बना है लहरें उत्पन होती हैं और विशुद्धि चक्र को ठीक करती है।
ब्रह्मरी (बी ब्रेथ), नाड़ी शोधन एवंशीतलता प्रदान करने वाले प्राणायाम जैसे कि शीतली और शीतकारी हाइपर थाइरोइड के लक्षणों का मुकाबला करने में अत्यधिक सहायक होते हैं।
शुद्धिकरण क्रियाएं
कपल भाती
लघु शंख प्रक्षालन
अग्निसार
बाह्य प्राणायाम www.saintsam.com
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